माँ-बाप - जीवन की परछाईं
दिल को चीर जाता है ख़याल ,.....
रूह कांप जाती है,ये सोच कर कि ताउम्र नहीं
रहेगा माँ - बाप का साथ ।
कुछ खाया बेटा?... कह कर प्यार से सर पे
फिरने वाला उठ जायेगा एक दिन सर से हाथ।
घर को नहीं,...चार दीवारियों में लौटेंगे हम
आयेगी एक रात।
कौन सुनेगा ,....उस दिन सब्र से टूटे दिल और
ज़ख़्मी रूह की हर बात।
रूह काँप जाती है,ये सोच कर कि ताउम्र नहीं
रहेगा माँ-बाप का साथ।
दिल को चीर जाता है ख़याल....
कि यादों में ही आयेंगे,....सिर को चूमने वो लब
जो थकते नहीं थे दुआ मांगते तेरे लिए।
ख्वाहिशों की ओट से ही,.... तरसेंगे हम माँ की
उस गोद के लिए।
वो माँ जो जीती थी हर पल हर घड़ी,.... बस एक
तेरे ही लिए।
इस जहाँ की चिलचिलाती धूप में,.....भटकेंगे हम
उस माँ के आँचल की छाँव के लिए।
की लौट आये फिर से वो,.....प्यार की परोसी थाल
में अपनी ममता को लिए।
दिल को चीर जाता है ख़याल....
रूह काँप जाती है, ये सोच कर कि ताउम्र नहीं
रहेगा माँ-बाप का साथ।
- प्रिंसी मिश्रा
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