दोस्ती-ज़िन्दगी के रंग





कहने को बहुत सी बातें हैं,लौटने को बहुत सी यादें हैं।कितने ऐसे लम्हे हैं जिनमें ज़िन्दगी ठहर गई।कितनें ऐसे पल हैं, कब बीते पता ही नहीं चला।समय को जैसे कभी पंख लग जाते हैं तो कभी मानो इसके पैर ज़मीं में धँस से जाते हैं।
मिले-जुले रंगों के साथ बीता साल दिल मे एक अहम जगह बना गया,साथ ही ऐसा तोहफा दे गया कि इस साल से कुछ और प्यार हो गया।ज़िन्दगी में सिर्फ चार लोग हैं जिनकी हँसी के सुर पर ये दिल थिरकता है और उनकी तक्लीफ पर रुकता नहीं बल्कि और तेज़ भागने लगता है।परिवार से बेहतर इस छोटी सी ज़िन्दगी में कुछ पाया नहीं,उनकी खुशियों से ज़्यादा कुछ कमाने की ख़ाहिश नहीं।हम बहुत कुछ पाते हैं ज़िन्दगी में ,बहुत कुछ खोते हैं।कभी खुशियाँ आँखों में आँसू दे जाती हैं तो कभी-कभी दुख भी लबों मुस्कराहटें बिखेर जाते हैं।ये सब खेल नज़रिये का होता है,हमारी सोच से जन्म पाता है।ज़िन्दगी में पिता एक ऐसा रिश्ता है जो बेटियों को कुछ ज़्यादा प्यारा होता है।शायद इतना गहरा की अपने जीवन के हमसफ़र को भी काफी हद तक उन्हीं पैमानों पर तय करती हैं।हालांकि मुमकिन नहीं कोई ये शर्त पूरी कर सके।फिर आती है बात उन अनकहे एहसासों की जो परिवार को उसकी अहमियत और खूबसूरती देते हैं।उन अनसुने वादों की जो हम एक दूसरों से करते है और पूरी ज़िंदगी उन्हें पूरा करने में बिताते हैं।जिन उंगलियों ने सहारा दे हमें पहला कदम चलाया,और फिर ये एहसास की उन उंगलियों के साथ हमे भी देर तक और दूर तक निभाना है।ये एक मीठी सी तकलीफ देते हैं।दुनियादारी की ज़मीन हमारे ज़ज़्बातों की एक नहीं सुनती। पर फिर यही एहसास हमे भीड़ में अपनों को पहचानने में मदद करते हैं।ये डर कि कहीं हाथ छूट न जाएँ हमें इन रिश्तों के और करीब रखते हैं।परिवार से बढ़ कर जीवन में प्यार का अधिकार कोई नहीं पाता, न किसी से हम उसी गहराई से प्यार कर सकते हैं।यही रिश्ते हमे परिभाषित करते हैं,हमारी पहचान होते हैं,साथ ही हमे एक बेहतर इंसान बनाते हैं।इन रिश्तों की कहानी यूँ ही लिखी जाती रहे।


इसके अलावा आता है वो परिवार जो हम खुद बनाते हैं।वो दोस्त जो हमारे होठों पर मुस्कुराते हैं,और हमारी आँखों से छलकते हैं।जिन्हें हम खुद चुनते हैं और बिना शर्त साथ निभाते हैं।जहाँ एक अदब और समझ होती है,पर उसे ज़ाहिर करने की ज़रूरत नहीं होती।जहाँ एक दूसरे को छेड़ने में भी मज़ा है और गालियाँ भी मीठी लगती हैं।कल जीवन के किसी मोड़ पर इन यादों से मुलाकात होगी तो एक मुस्कुराहट ज़रूर खिल उठेगी।कोई अनकहा एहसास सारे जज़्बातों पर हावी हो जाएगा और ये दौर फिर याद आ जायेगा।वो इंटरनल की मस्ती,एक्सटर्नल का रोमांच कभी भूलेगा नहीं।दो महामूर्तियों से मुलाकात कम होती है,पर जब होती है गज़ब होती है।और नवाब साहब की नवाबी के तो बड़े-बड़े नवाब कायल हो जायें।अनुराग की तथाकथित छिछोरी बातें और विशाल का विशाल ज्ञान और दोनों चोली दामन का साथ।ठाकुर की बे सिर पैर की बातें,वो अमरूद की बाग और बिन पिये टुन्न हो जाना।हमारी बिटिया की नासमझी की बातें और तुनक मिजाज़ी और निधि की वो तेज़ तर्राक आँखे और बातें।
ये देर रात के चैट्स और बेवकूफियाँ।ये सब तो मील के पत्थर हैं इस यारी में।और कैसे भूल सकते हैं वो शिमला की खूबसूरत यादें।वो खच्चर की सवारी,जहाँ हम जान खच्चर पर लेकर चढ़े थे।उसी के रहमो करम पर थे।कुफरी तो ज़िन्दगी भर याद रहेगा।बस की सवारी तो गज़ब ही थी,क्या कहने थे उस दिन के। छोटी-छोटी खुशियों का जश्न और बड़ी खुशियों की उम्मीद।ये सब तो छप गया दिल में। हमारे दोस्त वो परिवार हैं जो हमारे अंदर छुपे -दबे बच्चे को बाहर निकालते हैं और फिर मिलकर शैतानियाँ करते हैं।बेइज़्ज़ती भी ऐसे हक से होती है मानो डर ही नहीं उन्हें खोने का,या किसी के बुरा मानने का।मालूम जो है ,बुरा मान कर जाएँगे कहाँ।दोस्त बादलों जैसे हमारे ज़हन में रहते हैं और अक्सर बारिश की तरह बरस हमें बिन माँगी, बिन कमाई खुशियों से भिगो देते हैं।इन्हीं मीठे और खूबसूरत दोस्तों से वो परिवार बनता है जो हमे एक बेहतर और खुली सोच का इंसान बनाता है।जात-पात ,अमीरी-गरीबी,छोटा-बड़ा, ये सब लकीरें दोस्ती में धुँधली पर जाती हैं।बचता है सिर्फ एक खूबसूरत से रिश्ता जो हमे एक धागे में पिरो देता है।
जिसका एक -एक मोती एक अलग ही रंग का होता है,पर दोस्ती के इस समंदर की रंगत ही बदल देता है।ऐसे ही कुछ खास दोस्तों के नाम ये जाने वाला साल और उनकी खुशियों के नाम आने वाला नया साल।कुछ दोस्त जिन्हें ,ये दोस्ती ज़िन्दगी भर याद रहे और हर आने वाला साल उनकी खुशियों में नए आयाम स्थापित करे।थोड़ा ज़िन्दगी से और इश्क होता रहे।जितनी भी हों, सारी मुरादें पूरी हों।सबका साथ यूँ ही बना रहे,और ये रिश्ता साल दर साल गहरा ही होता जाए।थोड़ा प्यार,थोड़ा दुलार, थोड़ी बदमाशी,थोड़ी छेड़छाड़,और बहुत सारा प्यार।ज़िन्दगी में दोस्ती हर रोज़ दस्तक नहीं देतीपुराने दोस्तों का हक हर दफा नहीं देती।सँजो कर रख लो ये खुशियाँ ,कल का कोई ठिकाना नहीँ, सब अभी और इसी पल में कह देना,दिल पे कोई बोझ न लेना।बीत गया जो ,वापस ये दौर न आएगा,कोशिशें हज़ार कर लोगे लेकिन ये पल दोबारा नहीं जी पाएँगे।न फिर इन्हें गले लगा पाएँगे, ,न ये कहानी दोहरा पाएंगे।जो भी है इसे यहीं इसी समय में लिख रहे हैं हम,जाने कहा होंगे कल,क्या खबर।सारी खहिशे जी लें बेहतर है,ये बेबाकी और कहाँ मिलेगी भला?ये हक और प्यार दोबारा इस चौखट नहीं आएगा,कोई बार बार दोस्ती इन तरानों को नहीं दोहराएगा।सारी शिकायतें अभी कर लें,सारी जिंदगी इसी पल में जी लें।ये जो दौर है बाद खुशनुमा है,दोस्त और परिवार इस से दोबारा नहीं गुज़रेगा।ये मौका फिर नहीं मिलेगा।हाँ एक बात है कि ये तस्वीरें कभी बदलेंगी नहीं,और न ही इनपर कभी कोई धब्बा लगेगा।बार बार हम लौट कर यहीं वापस आएँगे ,कुछ मुट्ठी खुशियाँ वापस लेने और एक बार और इन पलों को ज़िंदा करने के लिए।

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