निरंकुश
हो निरंकुश रक्त पीने का निश्चय किया,
हो निरंकुश रक्त पीने का निश्चय किया।
आवेश जलके कोयला ही बाकी रहा।
तौलने निकले हो कि खून कितना बहा?
कि हो निरंकुश रक्त पीने का निश्चय किया।
हो निरंकुश रक्त पीने का निश्चय किया।
आवेश जलके कोयला ही बाकी रहा।
तौलने निकले हो कि खून कितना बहा?
कि हो निरंकुश रक्त पीने का निश्चय किया।
हथेलियों को धो लो ज़रा,
कि हिसाब की स्याही भी लाल है,
कुछ ऐसा ही सियासत का हाल है।
हर शख्स की काया यहाँ बदहाल है।
मेरी ज़ुबान पर, बस एक ही सवाल है,
किस जुर्म की कीमत चुकाई है?
भीड़ ने ये रस्म कैसी निभाई है?
कि हिसाब की स्याही भी लाल है,
कुछ ऐसा ही सियासत का हाल है।
हर शख्स की काया यहाँ बदहाल है।
मेरी ज़ुबान पर, बस एक ही सवाल है,
किस जुर्म की कीमत चुकाई है?
भीड़ ने ये रस्म कैसी निभाई है?
निर्दोष रक्त है मेरी सियाही ,
कि मनुष्यता की आत्मा,
किसने मृत्यु संग ब्याही?
किसने की थी शिकायत?
कहाँ लगी थी अदालत?
कब हुई पक्ष-विपक्ष की कवायद?
किसने सज़ा सुनाई थी?
जो इस भीड़ ने,
जल्लाद बन उसे फाँसी लगाई थी।
क्या वीरता दिखाई थी!
भीड़ ने ये रस्म कैसी निभाई थी?
कि मनुष्यता की आत्मा,
किसने मृत्यु संग ब्याही?
किसने की थी शिकायत?
कहाँ लगी थी अदालत?
कब हुई पक्ष-विपक्ष की कवायद?
किसने सज़ा सुनाई थी?
जो इस भीड़ ने,
जल्लाद बन उसे फाँसी लगाई थी।
क्या वीरता दिखाई थी!
भीड़ ने ये रस्म कैसी निभाई थी?
कारण रहा हो कुछ भी,
आँखों पे बाँध संयम की लाश,
देख कुछ न पाए,
अब मुल्ज़िम किसे बनाओगे?
मुजरिम है या नहीं ,ये कैसे बताओगे?
आँखों पे बाँध संयम की लाश,
देख कुछ न पाए,
अब मुल्ज़िम किसे बनाओगे?
मुजरिम है या नहीं ,ये कैसे बताओगे?
कि हो निरंकुश रक्त पीने का निश्चय किया।
अब आवेश जलके कोयला ही बाकी रहा।
अब आवेश जलके कोयला ही बाकी रहा।
-प्रिंसी मिश्रा
Very nice mam
ReplyDeleteधन्यवाद..
ReplyDeleteDo follow and share,if you like the content.^-^
Truth expressed nicely written
DeleteTruth expressed nicely written
DeleteThank you maam^-^
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